• 22 November 2024

मानसिक रोग

चिकित्सा ज्योतिष में मानसिक रोगों का अध्ययन :-

Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant)

आज के इस लेख में हम मानसिक रोगों के अध्ययन की बात करेगें- मानसिक रोग होने के बहुत से कारण होते हैं, लेकिन इन कारणों का ज्योतिषीय आधार क्या है? इसकी चर्चा इस लेख के माध्यम से की जा रही है चिकित्सा ज्योतिष में सभी रोगों के कुछ योग होते हैं, और ग्रहों के परस्पर संबंध बने होते हैं, जिनके आधार पर यह पता चलता है कि जातक को जीवन में किस प्रकार के रोग हो सकते हैं, लेकिन इसका निर्धारण किसी कुशल ज्योतिषी से ही कराना चाहिए अन्यथा बेकार का तनाव उत्पन्न हो सकता है। आइए कुंडली के उन योगों का अध्ययन करें, जिनके आधार पर मानसिक रोगों का पता चलता है :-

मानसिक रोगों में चंद्रमा, बुध, चतुर्थ भाव व पंचम भाव का आंकलन किया जाता है, चंद्रमा मन है, बुध से बुद्धि देखी जाती है, और चतुर्थ भाव भी मन है। तथा पंचम भाव से बुद्धि देखी जाती है, जब व्यक्ति भावुकता में बहकर मानसिक संतुलन खोता है, तब उसमें पंचम भाव व चंद्रमा की भूमिका अहम मानी जाती है, रोग में चतुर्थ भाव की भूमिका मुख्य मानी जाती है, शनि व चंद्रमा की युति भी मानसिक शांति के लिए शुभ नहीं मानी जाती है, मानसिक परेशानी में चंद्रमा पीड़ित होता है।

जन्म कुंडली में चंद्रमा अगर राहु के साथ है, तब जातक को मानसिक रोग होने की संभावना बनती है, क्योकि राहु मन को भ्रमित रखता है, और चंद्रमा मन है, मन के घोड़े बहुत ज्यादा दौड़ते हैं, व्यक्ति बहुत ज्यादा हवाई किले बनाता है। यदि जन्म कुंडली में बुध, केतु और चतुर्थ भाव का संबंध बन रहा है, और यह तीनों अत्यधिक पीड़ित हैं, तब जातक में अत्यधिक जिद्दीपन हो सकता है, और वह सेजोफ्रेनिया का शिकार हो सकता है. इसके लिए बहुत से लोगों ने बुध व चतुर्थ भाव पर अधिक जोर दिया है।

जन्म कुंडली में गुरु लग्न में स्थित हो और मंगल सप्तम भाव में स्थित हो या मंगल लग्न में और सप्तम में गुरु स्थित हो तब मानसिक आघात लगने की संभावना बनती है। जन्म कुंडली में यदि शनि लग्न में और मंगल पंचम भाव या सप्तम भाव या नवम भाव में स्थित हो तब मानसिक रोग होने की संभावना बनती है।

कृष्ण पक्ष का बलहीन चंद्रमा हो, और वह शनि के साथ 12वें भाव में स्थित हो, तब मानसिक रोग की संभावना बनती है। शनि व चंद्र की युति में जातक मानसिक तनाव ज्यादा रखता है। जन्म कुंडली में शनि लग्न में स्थित हो, सूर्य 12वें भाव में हो, मंगल व चंद्रमा त्रिकोण भाव में स्थित हो, तब मानसिक रोग होने की संभावना बनती है।

जन्म कुंडली में मांदी सप्तम भाव में स्थित हो, और अशुभ ग्रह से पीड़ित हो रही हो। राहु व चंद्रमा लग्न में स्थित हो, और अशुभ ग्रह त्रिकोण में स्थित हों, तब भी मानसिक रोग की संभावना बनती है।

मंगल चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट हो, या शनि चतुर्थ भाव में राहु/केतु के अक्षांश पर स्थित हो तब भी मानसिक रोग होने की संभावना बनती है। जन्म कुंडली में शनि और मंगल की युति छठे भाव या आठवें भाव में हो रही हो। जन्म कुंडली में बुध पाप ग्रह के साथ तीसरे भाव में हो या छठे भाव में हो या आठवें भाव में हो या बारहवें भाव में स्थित हो तब भी मानसिक रोग होने की संभावना बनती है।

यदि चंद्रमा की युति केतु व शनि के साथ हो रही हो, तब यह अत्यधिक अशुभ माना गया है, और अगर यह अंशात्मक रुप से नजदीक हैं, तब मानसिक रोग होने की संभावना अधिक बनती है। जन्म कुंडली में शनि और मंगल दोनो ही चंद्रमा या बुध से केन्द्र में स्थित हों तब मानसिक रोग होने की संभावना बनती है।

मिरगी होने के जन्म कुंडली में लक्षण :-

इसके लिए चंद्र तथा बुध की स्थिति मुख्य रुप से देखी जाती है, साथ ही अन्य ग्रहों की स्थिति भी देखी जाती है। शनि व मंगल जन्म कुंडली में छठे या आठवें भाव में स्थित हों, तब जातक को मिरगी संबंधित बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली में शनि व चंद्रमा की युति हो, और यह दोनो मंगल से दृष्ट हों,
जन्म कुंडली में राहु व चंद्रमा आठवें भाव में स्थित हों।

मानसिक रुप से कमजोर बच्चे अथवा मंदबुद्धि बच्चे:-

जन्म के समय लग्न अशुभ प्रभाव में हो, विशेष रुप से शनि का संबंध बन रहा हो, यह संबंध युति, दृष्टि व स्थिति किसी भी रुप से बन सकता है। शनि पंचम से लग्नेश को देख रहा हो, तब व्यक्ति जन्म से ही मानसिक रुप से कमजोर हो सकता है, जन्म के समय बच्चे की कुण्डली में शनि व राहु पंचम भाव में स्थित हो, बुध बारहवें भाव में स्थित हो, और पंचमेश पीड़ित अवस्था में हो, तब बच्चा जन्म से ही मानसिक रुप से कमजोर हो सकता है। पंचम भाव, पंचमेश, चंद्रमा व बुध सभी पाप ग्रहों के प्रभाव में हो तब भी बच्चा जन्म से ही मानसिक रुप से कमजोर हो सकता है। जन्म के समय चंद्रमा लग्न में स्थित हो और शनि व मंगल से दृष्ट हो तब भी व्यक्ति मानसिक रुप से कमजोर हो सकता है। पंचम भाव का राहु भी व्यक्ति की बुद्धि को भ्रष्ट करने का काम करता है, बुद्धि अच्छी नहीं रहती है।

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