• 21 November 2024

कुबेर साधना 2020

इस वर्ष दीपावली पर्व व धन त्रयोदशी के पर्व पर आप भी करें – धन कुबेर साधना।

Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवलोक के धनाध्यक्ष कुबेर हैं। कुबेर न केवल देवताओं के धनाध्यक्ष हैं, बल्कि समस्त यक्षों, गुह्यकों, किन्नरों और मानवों के अधिपति भी कहे गये हैं। ये नवनिधियों में पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुन्द, कुन्द, नील और वर्चस् के स्वामी भी हैं। जब एक निधि भी अनन्त वैभवों को देने वाली मानी गयी है, और धनाध्यक्ष कुबेर तो गुप्त या प्रकट समस्त संसार के वैभवों के अधिष्ठाता देव हैं। यह देव उत्तर दिशा के अधिपति हैं, इसी लिये प्रायः सभी यज्ञ, पूजा उत्सवों तथा दस दिक्पालों के पूजन में उत्तर दिशा के अधिपति के रूप में कुबेर का पूजन किया जाता है।

धनकुबेर और धन त्रयोदशी :- धन त्रयोदशी तथा दीपावली के दिन कुबेर की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। देवताओं के धनाध्यक्ष महाराज कुबेर राजाओं के भी अधिपति हैं, क्योकि सभी निधियों, धनों के स्वामी यही देव हैं, अतः सभी प्रकार की निधियों या सुख, वैभव तथा वर्चस्व की कामना पूर्ति, फल की वृष्टि करने में वैश्रवण कुबेर समर्थ हैं। सारांश में कहा जा सकता है कि धनाध्यक्ष कुबेर की साधना ध्यान करने से मनुष्य का दुःख-दारिद्रय दूर होता है और अनन्त ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। सनातन धर्म में गहरा विश्वास रखने वालों का अटल विश्वास है कि शिव के अभिन्न मित्र होने से कुबेर अपने भक्त की सभी विपत्तियों से रक्षा करते हैं, और उनकी कृपा से साधक में आध्यात्मिक ज्ञान, वैराग्य आदि के साथ-साथ उदारता, सौम्यता, शांति तथा तृप्ति आदि सात्त्विक गुण भी स्वाभाविक रूप से विकसित हो जाते हैं।

राजाधिराज कुबेर की साधना-
इस वर्ष धन त्रयोदशी विशेष योगों के साथ उदित हो रही है। आगामी पंक्तियों में एक अत्यन्त गोपनीय और दुर्लभ प्रयोग दिया जा रहा है जिसे धन त्रयोदशी के दिन रात्रि में ही सम्पन्न किया जाना है। इस ‘धन कुबेर साधना’ को जिस-जिस ने भी सम्पन्न किया है, उन सभी को अनायास धन प्राप्त हुआ है। यही नहीं अपितु इसके फलस्वरूप रोग, कर्ज़ व मुकद्दमें की परेशानी, विवाह बाधा, भवन का आभाव, पारिवारिक झंझट, ग्रह बाधा और आर्थिक आभाव भी दूर हुए हैं, और आज वे सभी साधक समाज में सम्माननीय तथा सम्पन्न जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इस साधना को सम्पन्न करने वाले प्रत्येक साधक का यह अनुभव है, कि इस साधना को सम्पन्न करने से आर्थिक बाधा तो रहती ही नहीं, और घर की गरीबी पूर्ण रूप से लुप्त हो जाती है। इस साधना को सम्पन्न करने से धन, वैभव, सुख तथा भाग्योदय का योग शीघ्र प्राप्त होने लगता है। ‘आप का भविष्य’ के पाठकों के लिए और विशेष कर साधकों के लिए यह गोपनीय साधना प्रयोग आगे की पक्तियों में दिया जा रहा है, मेरा पूर्ण विश्वास है कि इस साधना को सम्पन्न कर निश्चय ही आप साधक मेरे कथन से सहमत होगें।

महाराज वैश्रवण कुबेर की उपासना से संबंधित मंत्र, यंत्र, ध्यान एवं उपासना आदि की सारी प्रक्रियायें श्रीविद्यार्णव, मंत्रमहार्णव, मंत्रमहोदधि, श्रीतत्त्वनिधि तथा विष्णुधर्मोत्तरादि पुराणों में विस्तार से निर्दिष्ट हैं। तदनुसार इनके अष्टाक्षर, षोडशाक्षर तथा पंचत्रिंशदक्षरात्मक छोटे-बड़े अनेक मंत्र प्राप्त होते हैं। मंत्रों के अलग-अलग ध्यान भी निर्दिष्ट हैं। मंत्र साधना में गहन रूची रखने वाले साधक उपरोक्त ग्रन्थों का अवलोकन करें। यहाँ पाठकों के लिये धनाध्यक्ष कुबेर की एक सहज व सरल साधना पद्धति दी जा रही है। यह साधना धनत्रयोदशी के दिन की जानी चाहिये यदि कोई साधक इस साधना को दीपावली की रात्रि में करना चाहे तो उस महापर्व पर भी यह साधना कर सकते हैं। अथवा दोनो ही दिन (धनत्रयोदशी तथा दीपावली) यह साधना सम्पन्न की जा सकती है। इस वर्ष धनत्रयोदशी 13 नवम्बर 2020 तथा दीपावली पर्व 14 नवम्बर 2020 के दिन है। यह साधना स्थिर लग्न में ही सम्पन्न की जाती है। इस दिन स्थिर लग्न में शुद्ध रजत (चांदी) पर निर्मित कुबेर यंत्र तथा जप के लिये कमलबीज की 108 दाने की माला का प्रयोग किया जाना चाहिये। इसमें भी कुबेर यंत्र विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठित होना आवश्यक है, तथा माला नई व शुद्ध होनी चाहिये।

साधना पद्धति:- धनत्रयोदशी की रात्रि में उत्तर दिशा की ओर मुख करके पुरूष साधक पीले वस्त्र तथा महिलायें पीली साड़ी पहनकर बैठें सामने एक लकड़ी के पटरे पर पीला रेशमी वस्त्र बिछाकर उस पर प्राण प्रतिष्ठित श्री कुबेर यंत्र स्थापित करें और साथ ही शुद्ध घी का दीपक जलाकर पंचोपचार पूजा करें मिठाई का भोग लगावें तथा विनियोगादि क्रिया करके 11 माला कमलबीज की माला से कुबेर मंत्र का जप करें। जप सम्पूर्ण होने पर प्रसादरूप में मिठाई का परिजनों को वितरण करें और फिर रात्रि में उसी पूजा स्थल में ही निद्रा विश्राम करें। प्रातः शेष फूलादि सामग्री जल में विसर्जित कर दें तथा शुद्ध चांदी पर उत्कीर्ण श्री कुबेर यंत्र को पीले आसन सहित अपनी तिजोरी कैश बाॅक्स या अलमारी अथवा संदूक में रख दें। तथा कमलबीज की जप माला को गले में धारण करें।

विनियोग:-
सर्वप्रथम हाथ में जल लेकर निम्नलिखित विनियोग करें-
अस्य श्रीकुबेरमंत्रस्य विश्रवा ऋषिः बृहती छन्दः धनेश्वरः कुबेरो देवता ममाभीष्टसिद्धयथे जपे विनियोगः।

करन्यासः-
विनियोग के उपरांत करन्यास करें-
यक्षाय अंगुष्ठाभ्यां नमः।
कुबेराय तर्जनीभ्यां नमः।
वैश्रवणाय मध्यमाभ्यां नमः।
धनधान्याधिपतये अनामिकाभ्यां नमः।
धनधान्य समृद्धिं में कनिष्ठकाभ्यां नमः।
देहि दापय स्वाहा करतल करपृष्ठाभ्यां नमः।

षडंगन्यासः-
करन्यास के उपरांत षडंगन्यास करें-
यक्षाय हृदयाय नमः।
कुबेराय शिरसे स्वाहा।
वैश्रवणाय शिखायै वषट्।
धनधान्याधिपतये कवचाय हुम्।
धनधान्य समृद्धि में नेत्रत्रयाय वौषट्।
देहि दापय स्वाहा अस्त्राय फट्।

कुबेर का ध्यानः-
इनके मुख्य ध्यान श्लोक में इन्हें मनुष्यों के द्वारा पालकी पर अथवा श्रेष्ठ पुष्पक विमान पर विराजित दिखाया गया है। इनका वर्ण गारुडमणि या गरुडरत्न के समान दीप्तिमान् पीतवर्णयुक्त बतलाया गया है, और समस्त निधियां इनके साथ मूर्तिमान् होकर इनके पार्श्रवभाग में निर्दिष्ट हैं। ये किरीट मुकुटादि आभूषणों से विभूषित हैं। इनके एक हाथ में श्रेष्ठ गदा तथा दूसरे हाथ में धन प्रदान करने की वरमुद्रा सुशोभित है। ये उन्नत उदरयुक्त स्थूल शरीर वाले हैं। ऐसे भगवान् शिव के परम सुहृद् भगवान् कुबेर का ध्यान करना चाहिए-

मनुजवाह्यविमानवरस्थितं गरुडरत्ननिभं निधिनायकम्।
शिवसखं कमुकुरादिविभूषितं वरगदे दधतं भज तुन्दिलम्।।

सम्पन्नता के लिये कुबेर मंत्र-
यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय स्वाहा।

वैसे तो इस मंत्र की जप संख्या एक लक्ष (एक लाख) कही गयी है। परंतु धनत्रयोदशी अथवा दीपावली की रात्रि में जितना हो सके विधि-विधान से इस मंत्र का जप करना ही पर्याप्त होता है। मंत्र का जप सम्पन्न होने पर तिल एवं शुद्ध घी से दशांश हवन करना चाहिये। यह साधना कार्तिक कृष्ण 13 अर्थात् धन त्रयोदशी पर की जाती है, पूरे भारतवर्ष के लोग धन त्रयोदशी के दिन धनाधिपति कुबेर के साथ महालक्ष्मी तथा आरोग्य प्रदान करने वाले देव धनवंतरि की पूजा-आराधना एवं साधना करते हैं, और सुख संपदा के अभिलाषी तो इस दिन कुछ विशेष प्रयोग सम्पन्न करते हैं जिससे कि अगले पूरे वर्ष तक घर के सभी सदस्य प्रसन्न व निरोगी रहें, और उनके घर में श्रीलक्ष्मी का निवास और प्रसन्नता बनी रहे।

साधना कब सम्पन्न करें?-
इस साधना या प्रयोग को केवल धन त्रयोदशी की रात्रि में ही सम्पन्न किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त किसी भी मुहूर्त में नहीं सम्पन्न किया जा सकता है। यह केवल एक रात्रि की साधना है और इस साधना को सम्पन्न करने से साधक का धनाभाव दूर होकर सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

अनुष्ठान विधि-
सबसे पहले साधक पूजा स्थान में पीला रेशमी आसन बिछा कर उत्तर दिशा की ओर मुख कर के बैठ जाये और पूजा तथा साधना सामग्री की व्यवस्था पहले से ही कर लें। पूजा सामग्री में- 1. जल के लिये ताम्र पात्र, 2. गंगाजल या गुलाब जल, 3. दीपक के लिये शुद्ध घी, 4. प्रसाद के लिये 100 ग्रा. बताशे, 5. सफेद गुलाब के 4-5 पुष्प तथा पीले पुष्पों की दो माला, 6. नैवेद्य (मिठाई), 7. गूगल का धूप या अगरबत्ती, 8. दीपक, 9. पानी वाला नारियल, 10. पाँच प्रकार के फल, 11. रोली, 12. कलावा, 13. ग्यारह साबुत सुपारी तथा 14. पांच पान के साबुत डन्डी वाले पत्ते। साधक को यह पूजन सामग्री पूजा स्थान में एक थाल में स्वास्तिक बनाकर रख लेनी चाहिये। साथ ही साधना हेतु प्रमुख रूप से श्री शुद्ध चांदी पर बना और प्राणप्रतिष्ठित ‘कुबेर यंत्र’ तथा शुद्ध अष्टगन्ध को भी किसी प्रतिष्ठित संस्थान से मंगवाकर पहले ही रख लेना चाहिए। इसके अलावा साधक को चाहिये, धनत्रयोदशी वाले दिन सात्विक आचार विहार करें, ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करें, दिन में एक-दो बार फलाहार या दुग्धाहार करें तथा रात्रि में साधना के उपरांत भूमि शयन करें। इसके अतिरिक्त इस बात का पूरा ध्यान रखें कि इस प्रयोग या अनुष्ठान की किसी से चर्चा न की जाये अर्थात् इसे गोपनीय ही रखें।

श्री कुबेर यंत्र की विशेषता –
इस यंत्र को भली प्रकार से अष्टगंध के द्वारा आलेपित करके इस के बाद इस यंत्र के ऊपर एक सुपारी स्थापित कर दें, यह यंत्र रजत-पत्र (चांदी) पर अंकित होता है यह विशेष रूप से ध्यान में रखें, और फिर इस यंत्र को प्राण प्रतिष्ठित अवश्य किया गया हो। तभी इस का चमत्कारी प्रभाव देखने में आता है। सही विधि-विधान से सिद्ध किया गया श्री कुबेर यंत्र दुर्लभ होता है। और सिद्ध होने के बाद आने वाली पीढ़ियों के लिए यह यंत्र एक ‘सौभाग्यशाली धरोहर’ बना रहता है। इस यंत्र को सिद्ध करने के उपरांत साधक को इसे शुद्ध पीले रेशमी कपडे में लपेटकर ऊपर कलावा बांधकर अपनी तिजोरी अथवा कैश बाॅक्स मे रखना चाहियेे। कभी भी इस का प्रदर्शन किसी के सामने न करें। प्रदर्शन करने से इसकी शक्ति क्षीण होती है। यदि ठीक प्रकार से सिद्ध करके रखा रहेगा तभी यह अपने आप में पूर्ण भाग्योदय कारक, धनप्रदायक तथा सौभाग्यशाली प्रभाव प्रकट करेगा। शास्त्रों में वर्णित इस प्रकार के यंत्र को आप किसी सिद्ध पुरूष से भी प्राप्त कर सकते हैं। आप यदि चाहते हैं तो समय रहते गुरूजी से भी सिद्ध करके मंगवा सकते हैं, इसके लिए गुरूजी के कार्यालय में पहले से अपना आर्डर बुक करवा सकते हैं।

प्रयोग विधि-
इस वर्ष 2020 में धन त्रयोदशी 13 नवम्बर के दिन है। इस दिन रात्रि में साधक स्नान कर पीली धोती पहन कर रात्रि सूर्यास्त से 2 घन्टे पश्चात् उत्तर दिशा की ओर मुख करके शुद्ध रेशमी आसन पर बैठ जायें और सामने एक कुबेर देवता का चित्र तथा एक श्री कुबेर यंत्र जो कि शुद्ध चांदी पर उत्कीर्ण किया गया हो, तथा धन कुबेर के मंत्र से अभिमंत्रित किया गया हो सामने लकड़ी के एक बाजोट पर स्थापित कर लें। स्थापित करने से पहले उस बजोट पर पीला रेशमी कपड़ा अवश्य बिछा दें। इसके ऊपर एक थाली रखें जो कि स्टील की न हो, चांदी की या पीतल की हो, उस थाली के बीचो-बीच रोली से स्वास्तिक बनाकर स्वास्तिक के बीचो-बीच थोड़े चावल रखें उनके उपर एक साबुत सुपारी जिस पर पहले कलावा लपेट लें। फिर इस थाली के एक भाग में अष्टगन्ध, अनार की लकड़ी से बनी कलम रखें। अनार की लकड़ी का प्रबन्ध पहले से ही करके रखना चाहिये। इसके बाद फूल, अक्षत्, कलावा, रोली, पान के पत्ते साबुत सुपारी, तथा थोड़ी मिठाई भी रखें। कुबेर देवता के चित्र तथा यंत्र को पुष्प अर्पित करें, पुष्प माला पहिनायें सामने एक छोटी स्टील की प्लेट में धूप तथा दीपक लगायें, स्वयं तथा परिवार के सदस्यों को कलावा बांध कर रोली से चावल लगाकर तिलक करें। इस के बाद अष्टगंध को गुलाबजल या फिर गंगाजल से गीला कर लें और धन कुबेर के यंत्र पर अनार की कलम की सहायता से लेप कर दें। और फिर थाली में रखकर इस पर नारियल अर्पित करें, तथा मिठाई से भोग लगायें। इस प्रकार का प्रत्येक कार्य करते समय साधक ॐ यक्षराज कुबेराय नमः। मंत्र का उच्चारण करते रहें, सम्पूर्ण पूजन इसी मंत्र के उच्चारण से किया जाता है। इसके बाद 7 मुखी रूद्राक्ष की माला (जिसे लक्ष्मी माला कहा गया है) जो की 108 दाने वाली नई माला होनी चाहिये इस रूद्राक्ष माला से इस कुबेर देवता के मंत्र- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय स्वाहा। मंत्र की 11 माला जप करें, जप पूर्ण होने पर कुबेर देवता के चित्र तथा श्री कुबेर यंत्र को प्रणाम करें तथा यंत्र व चित्र की सात प्रदक्षिणा करें, और फिर श्री कुबेर यंत्र तथा यक्षराज कुबेर के चित्र को अपने दोनों हाथों में लेकर सम्मान के साथ (आसन के साथ) तिजोरी या कैशबाॅक्स में स्थान दे दें। अनेक साधकों का अनुभव है कि इस साधना का लाभ कुछ ही दिनों में प्रभावशाली ढंग से प्रकट होने लग गया। कुछ साधकों के द्वारा यह भी अनुभव किया गया है कि दूसरे ही दिन से साधक को आर्थिक-व्यापारिक दृष्टि से चमत्कारिक लाभ अनुभव होने लगे। प्रयोग सम्पन्न करने के इच्छुक साधकों से अनुरोध है कि यह साधना पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से सम्पन्न करें।

विशेष- इस साधना के लिये साधना सामग्री की व्यवस्था समय से पूर्व ही कर लें। यह सामग्री गुरूजी के कार्यालय में उपलब्ध है। इसमें 1. श्री कुबेर यंत्र जो कि ‘शुद्ध चांदी’ पर उत्कीर्ण तथा धन कुबेर के मंत्र से अभिमंत्रित किया गया होगा, 2. अष्टगन्ध, 3. कुबेर देवता का चित्र, 4. सप्त मुखी रूद्राक्ष की 108 दाने की माला, तथा 5. अनार की लकड़ी से बनी कलम होगी। इस सारी सामग्री के लिये न्यौछावर राशि केवल 5100/-रू है। आप का भविष्य के पाठकों के लिये गुरूजी ने विशेष रूप से यह सामग्री प्राणप्रतिष्ठा की है, राशि आपको अग्रिम भेजनी होगी। यह राशि आप कम से कम एक माह पूर्व भेज दें, जिससे की समय पर यह सामग्री आपको प्राप्त हो सके और आप निश्चिंत हो सकें।

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