• 21 November 2024

उच्च रक्तचाप

उच्च रक्तचाप और ग्रह :-

Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant),

Telephonic Consultation, face to face Consultation, best top remedy
यह कुण्डली एक महिला जातक की है, जिसका जन्म 09-12-1971, प्रातः 04:33, चण्डीगढ़ का है। आजकल काफी समय से इसे उच्च रक्तचाप रहता है।

18 अप्रैल 2015 तक राहु की महादशा में राहु का अंतर रहेगा। इस के बाद 11 सितम्बर 2017 तक राहु में बृहस्पति का अंतर रहा है, अब शनि का अंतर है।

राहु दशा ही रोग आरम्भ की सूचक- राहु इस कुण्डली के चतुर्थ भाव में शनि की मकर राशि का होकर स्थित है, एक तो राहु उदर विकार का कारक ग्रह दूसरे राहु कुण्डली के चतुर्थ (उदर) स्थान में स्थित है, तीसरे यह मंद ग्रह शनि की मकर राशि में स्थित है।

राहु-शनि-मकर राशि तथा चतुर्थ भाव सभी मिलकर किसी पेट के रोग की ओर संकेत करते हैं। यही रोग ही रक्तचाप की जड़ है, क्योंकि रक्तचाप कोई स्वतंत्र रोग न होकर किसी रोग का सहायक लक्षण मात्र है। अब आगे देखें राहु में बृहस्पति क्या संकेत देता है, कुण्डली के षष्ठ भाव से राहु की स्थिति 11वें, षष्ठ भाव में गुरू की राशि, गुरू की स्थिति राहु से 11वें, यह सभी सूचनाएं जातिका को बृहस्पति के अंतर में फेफडे व ह्रदय सम्बंधी किसी भावी गंम्भीर रोग की ओर संकेत करता है। राहु में शनि का अंतर इस शारीरिक कष्ट में वृद्धि कर सकता है। यह अंतर दशा का फल गंभीर हो सकता है।

यदि आप को ज्योतिष के माध्यम से कुण्डली में बनने वाले रोग के योगों को विस्तार पूर्वक जानने में रूचि है तो, मेरी पुस्तक:- “रोग और ज्योतिष” का अध्ययन करें।

ज्योतिषीय समाधान के लिए :-

09810143516, 09155669922
—————————————-
मेरे और लेख देखें :- shukracharya.com, aapkabhavishya.com, rbdhawan.wordpress.com पर।