Deepali 2023
पाँच पर्वों का महोत्सव दीपावली महापर्व-
दीपावली का महापर्व कार्तिक अमावस में प्रदोष काल एवं अर्द्धरात्रि व्यापिनी हो, तो विशेष रूप से शुभ होती है-
कार्तिक स्यासिते पक्षे लक्ष्मीर्निदां विमुञ्चति ।
सच दीपावली प्रोक्ताः सर्वकल्याणरूपिणी ।।
ज्योतिर्निबन्ध लक्ष्मीपूजन, दीपदानादि के लिए प्रदोषकाल ही विशेषतः प्रशस्त माना गया है।
कार्तिके प्रदोषे तु विशेषेण अमावस्या निशावर्धके ।
तस्यां सम्पूज्येत् देवीं भोगमोक्ष प्रदायिनीम् ।। (भविष्यपुराण)
दीपावली वस्तुतः पाँच पर्वों का महोत्सव माना जाता है, जिसका आरम्भ कार्तिक कृष्ण त्र्योदशी (धनतेरस) से आरम्भ होकर कार्तिक शुक्ल द्वितीया (भाई-दूज) तक रहती है। दीपावली के पर्व पर धन की प्रभूत प्राप्ति के लिए धन की अधिष्ठात्री धनदा भगवती लक्ष्मी का समारोह पूर्वक आवाहन, षोडशोपचार सहित पूजा की जाती है। आगे दिए गए निर्दिष्ट शुभ और शुद्ध मुहूर्त समय में किसी स्वच्छ एवं पवित्र स्थान पर आटा, हल्दी, अक्षत एवं पुष्पादि से अष्टदल कमल बनाकर श्रीलक्ष्मी का आवाहन एवं स्थापना करके देवों की विधिवत पूजार्चन करनी चाहिए।
इस वर्ष 2013 में कार्तिक अमावस 12 नवम्बर, रविवार को दोपहर 14-45 मिं. के बाद प्रदोष, निशीथ तथा महानिशीथ व्यापिनी होगी। इस लिए दीपावली पर्व 12 नवम्बर के दिन शुभ होगा। सायं दीपावली पर्व स्वाती नक्षत्र, सौभाग्य योग, तुला राशिस्थ चन्द्रमा तथा अर्धरात्रि व्यापिनी अमावस्या युक्त होने से विशेषत शुभ रहेगी।
दीपावली के दिन- दिन के कार्य- इस दिन प्रातः ब्राह्ममुहूर्त्त में उठकर दैनिक कृत्यों से निवृत्त हो पितृगण तथा देवताओं का पूजन करना चाहिए। सम्भव हो तो दूध, दही और घृत से पितरों का पार्वण श्राद्ध करना चाहिए। और यदि सम्भव हो तो एकभुक्त उपवास कर गोधूलि वेला (सूर्यास्त के समय) में अथवा वृष, सिंह आदि स्थिर लग्न में श्रीगणेश पूजन, कलश पूजन, षोडशमातृका एवं ग्रहपूजन करते हुए भगवती लक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। इसके अनन्तर महाकाली का दावात के रूप में, महासरस्वती का कलम रूप में, बही आदि के रूप में तथा कुबेर का तुला के रूप में सविधि पूजन करना चाहिए। इसी समय दीपपूजन कर यमराज तथा पितृगणों के निमित्त संकल्प के साथ दीपदान करना चाहिए। यथोलब्ध निशीथादि शुभ मुहूर्तों में मन्त्र-जप, यन्त्र सिद्धि आदि अनुष्ठान सम्पादित करने चाहिए।
आवाहन मंत्र- कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रा ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप हुये श्रियम् ।।
ॐ गं गणपतये नमः ।। लक्ष्म्यै नमः ।।
नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्त्वदर्चनात् ।।
से लक्ष्मी; एरावतसमारूढो वज्रहस्तो महाबलः। शतयज्ञाधिपो देवस्तस्मा इन्द्राय ते नमः।
मन्त्र से इन्द्र की और कुबेर की निम्न मन्त्र से पूजा करें-
कुबेराय नमः, धनदाय नमस्तुभ्यं निधपद्याधिपाय च ।
भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पदः ।।
पूजन सामग्री में विभिन्न प्रकार की मिठाई, फल- पुष्पाक्षत, धूप, दीपादि सुगन्धित वस्तुएं सम्मिलित करनी चाहिए।
दीपावली पूजन में शुद्ध मुहूर्त -1. प्रदोष, 2. निशीथ एवं महानिशीथ काल के अतिरिक्त 3. चौघड़ियां मुहूर्त्त भी पूजन, बही-खाता पूजन, कुबेर पूजा, जपादि अनुष्ठान की दृष्टि से विशेष शुभ माने जाते है।
इस वर्ष प्रदोष काल – 12 नवम्बर, 2023 ई. को सूर्यास्त से लेकर अर्थात- 17 घं. 30 मिं. से लेकर 20 घ 12 मि तक प्रदोषकाल व्याप्त रहेगा।
स्थिर लग्न- (वृष) सायं 17ः37 मि. से 19ः32 तक स्थिर लग्न वृष आरम्भ होगी। यह लग्न तथा मिथुन लग्न का पूर्वार्ध का समय विशेष शुभ है।
शुभ की चौघड़ियां- 17ः27 से 19ः08 मि. तक शुभ की चौघडिया रहेगी। तदुपरान्त अमृत की चौघड़ियां भी 19ः10 से 20ः51 तक शुभ हैं। अतः 17 बजकर 37 मिनट से 20 बजकर 12 मिनट तक का समय तीन प्रकार से शुभ और शुद्ध मुहूर्त होगा।
इस के अतर्गत- 20 बजकर 9 मिनट से 20ः12 तक निशीथकाल भी रहेगा। यह समय चार प्रकार से शुभ और शुद्ध मुहूर्त होगा। इन में से अपनी सुविधा अनुसार शुद्ध मुहूर्त का चुनाव करें। इस मुहूर्त में श्रीगणेश-लक्ष्मी पूजन प्रारम्भ कर लेना चाहिए। इसी काल में दीपदान, श्रीमहालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, बही-खाता पूजन, धर्म एवं गृह स्थलों पर दीप प्रज्वलित करना, ब्राह्मणों तथा अपने आश्रितों को भेंट, मिष्ठान्नादि बांटना शुभ होगा।
तीन प्रकार शुद्ध मुहूर्त- 1. प्रदोषकाल, 2. स्थिर वृष लग्न, 3. शुभ चौघडिया का शुभ एवं शुद्ध मुहूर्त 17ः37 से 20ः12 तक रहेगा।
Dr.R.B.Dhawan Guruji
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