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चक्षुषोपनिषद् , Chaksusopnisad
चक्षुषोपनिषद् को ही चाक्षुषी विद्या या नेत्र रोगों का निवारण करने वाली विद्या कहते हैं :- Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant) ‘चाक्षुषी विद्या’ चक्षुषोपनिषद् ,Chaksusopnisad में उल्लेखित विद्या है, यद विद्या जटिल से जटिल नेत्ररोग का हरण करने वाली, पाठ मात्र से सिद्ध होने वाली विद्या है। जिससे समस्त नेत्ररोगों का सम्पूर्णत:…
Read Moreमांगलिक
यदि जन्म कुंडली में मंगल लग्न (प्रथम भाव) चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या बारहवें भाव में हो तो कुंडली मंगलिक अर्थात मंगल दोष युक्त हो जाती है :- Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant) मंगल से प्रायः सभी भयभीत रहते हैं। विशेषकर बालिका/बालक की कुंडली यदि मंगलीक हुई तो माता-पिता की चिंता बढ़ जाती…
Read Moreमंगली
मंगली योग का प्रभाव क्या है? :- Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant) भारतीय जीवनशैली में गृहस्थ आश्रम का विशेष महत्व है। गृहस्थ जीवन की शुरुआत पाणिग्रहण संस्कार से आरंभ होती हैं। प्रणय-सूत्र में बंधना सुखदायी होगा या दुःखदायी, यह दोनों के ग्रहों पर निर्भर करेगा जो कि एक-दूसरे पर प्रभाव डालते हैं।…
Read Moreयज्ञ द्वारा रोग निवारण
यहां हम यज्ञ द्वारा रोग निवारण की ही चर्चा कर रहे हैं, जिसे वेदों में सवोपरि माना गया है :- Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant) यज्ञ द्वारा रोग निवारण/नियंत्रण : आदियुग से अब तक रोगों को नियंत्रित रखने हेतु चिकित्सा प्रणाली का विकास हुआ है । चिकित्सा प्रणालियों के क्रमिक विकास में…
Read Moreमानसिक रोग
चिकित्सा ज्योतिष में मानसिक रोगों का अध्ययन :- Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant) आज के इस लेख में हम मानसिक रोगों के अध्ययन की बात करेगें- मानसिक रोग होने के बहुत से कारण होते हैं, लेकिन इन कारणों का ज्योतिषीय आधार क्या है? इसकी चर्चा इस लेख के माध्यम से की जा…
Read Moreत्राटक
त्राटक साधना :- Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant) मानवी कल्पनात्मक विचार शक्ति का अत्यधिक प्रवाह नेत्रों द्वारा ही होता है, जिस प्रकार कल्पनात्मक विचार शक्ति को सीमाबद्ध करने के लिए ध्यान योग की साध ना की जाती है, उसी प्रकार इस मानवी विद्युत प्रवाह को दिशा विशेष में प्रयुक्त करने के लिए…
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