• 27 April 2024

लक्ष्मी गणेश पूजा

लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है ऐसा क्यों? आइये जानें इस आलेख में:-

Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant),

दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा साथ-साथ ही क्यों? भारत एक आध्यात्य व धर्म प्रधान देश है। दीपावली भारत का अत्यंत प्राचीन सांस्कृतिक पर्व है। इस दिन धन एवं समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था। लक्ष्मी, भगवान विष्णु की पत्नी हैं। फिर भी लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है ऐसा क्यों? आइये जानें इस आलेख में:-

यह सर्वविदित सत्य है कि कोई भी शुभ कार्य गणेश पूजन से ही प्रारंभ होता है। गणेश जी बुद्धि प्रदाता हैं। वे विघ्न विनाशक हैैं, और विघ्नेश्वर भी। यदि व्यक्ति के पास धन संपदा है, पर बुद्धि का अभाव है तो, वह उसका सदुपयोग नहीं कर पाता। अतः व्यक्ति का बुद्धिमान और विवेकी होना भी आवश्यक है। तभी धन के महत्व को समझ सकेगा। गणेश का विशाल उदर अधिक उत्पादन और धन संपदा का प्रतीक है। हाथी की सूँड़ कुशाग्र बुद्धि का प्रतीक है, और एक दंत कृषकों के हल के फाल का प्रतीक है। वैसे भी बिना गणेशजी की पूजा किये किसी भी पूजा का कोई भी अभीष्ट फल प्राप्त नहीं होता है। जिस प्रकार लक्ष्मी पूजन से धन संपदा व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, उसी प्रकार गणेशजी की पूजा करने से बुद्धि वाक्चातुर्य आदि की प्राप्ति होती है, साथ ही संकटों का भी नाश होता है।

पौराणिक ग्रंथों में एक कथा का प्रमाण मिलता है कि एक बार एक वीतरागी साधु को राजसुख भोगने की लालसा हुई। उसने लक्ष्मीजी की आराधना की। उसकी आराधना से प्रसन्न होकर लक्ष्मीजी ने उसे साक्षात् दर्शन देकर वरदान दिया कि उसे उच्चपद व सम्मान मिलेगा। दूसरे दिन वही वीतरागी साधु राजा के दरबार में पहुँचा। वरदान मिलने के कारण उसे अभिमान हो गया था। उसने राजा को धक्का मारा जिससे राजा का राजमुकुट नीचे गिर गया। राजा व उसके दरबारीगण उसे मारने के लिये दौड़े। परन्तु तुरन्त इसी बीच राजा के गिरे हुये मुकुट से एक काला साँप निकलकर भागने लगा। सभी चैंके और साधु को चमत्कारी समझकर उसकी जय-जयकार करने लगे। राजा ने प्रसन्न होकर साधु को मंत्री बना दिया। क्योंकि उसी के कारण ही राजा की जान बची थी। साधु को रहने के लिये अलग से महल दिया गया। वह ठाठ से रहने लगा। राजा को एक दिन वही साधु भरे दरबार से हाथ से खींचकर बाहर ले गया। दरबारी भी उसके पीछे भागे। सभी के बाहर जाते ही भूकंप आया और सभा भवन खण्डहर में तब्दील हो गया। उसी साधु ने सबकी जान बचाई। अतः साधु का मान सम्मान बढ़ गया। जिससे उसमें अहंकार की भावना विकसित होने लगी। राजमहल में एक गणेश जी की मूर्ति थी। एक दिन साधु ने यह कहकर उसे वहाँ से हटवा दिया कि यह वहाँ अच्छी नहीं लग रही है। साधु के इस कार्य से गणेशजी रूष्ट हो गये। उसी दिन से उस मंत्री बने साधु की बुद्धि बिगड़ गई। वह उल्टी-पुल्टी हरकतें करने लगा। वह राजा को भी उल्टा बोलने लगा। राजा उससे नाराज हो गया और उसे करावास की सजा सुना दी। अब साधु के होश ठिकाने आ गये। वह जेल में पुनः लक्ष्मीजी की आराधना करने लगा। माता लक्ष्मी ने उसे स्वप्न में आकर कहा कि उसने गणेशजी का अपमान किया है। अतः वह गणेशजी की आराधना करें। माता लक्ष्मी का आदेश पाकर वह कारावास में ही गणेशजी की आराधना करने लगा। उससे गणेशजी का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने राजा को स्वप्न में कहा कि वह साधु को बाहर निकालकर पुनः मंत्री बना दे। राजा ने गणेशजी के आदेश का पालन करते हुए साधु को मुक्त कर पुनः मंत्रीपद देकर सुशोभित किया।
इस प्रकार लक्ष्मी एवं गणेश जी की पूजा साथ-साथ होने लगी। इस कथा से यह सीख मिलती है। कि व्यक्ति को धन संपत्ति मिलने पर व्यर्थ का गर्व नहीं करना चाहिये। बुद्धि के देवता गणेशजी की भी उपासना लक्ष्मीजी के साथ अवश्य करनी चाहिये। क्योंकि यदि लक्ष्मीजी आ भी जायें तो बुद्धि के उपयोग के बिना उन्हें रोक पाना मुश्किल है। अतः दोनों का अपना महत्व है, जिस प्रकार दीपावली की संपूर्ण रात्रि में लक्ष्मी की साधना की जाती है, उसी प्रकार साधक गण गणेशजी की साधना करते हैं।

दीपावली पर पार्थिव पूजन का अपना विशिष्ट महत्व है। मिट्टी से निर्मित मूर्ति घर में लाकर उसकी विधिवत शास्त्रोक्त तरीके से पूजा अर्चना करनी चाहिये। धर्मशास्त्रों में पार्थिव पूजन का विशेष महत्व वर्णित है। इस पार्थिव पूजन या मिट्टी की प्रतिमाओं को पूजने के पीछे यह रहस्य छिपा है कि इससे अमीर-गरीब का अन्तर मिटता है। सभी में समभाव की भावना का विकास होता है। मिट्टी की प्रतिमा में गणेश-लक्ष्मी का आह्नान कर पूजा अर्चना करनी चाहिये। पूजा के बाद पार्थिव प्रतिमाओं को जल में प्रवाहित कर दें।
दीपावली पर गणेश-लक्ष्मी की जो मूतियाँ लाई जायें, उन्हें लाल या पीले वस्त्र पहनाकर चैकी पर स्थापित कर पूजा करनी चाहिये। यह बात पूजा के समय ध्यान रहे कि लक्ष्मी गणेश में माँ-बेटे का सम्बन्ध है। अतः उनकी पूजा इसी रूप में की जानी चाहिये। दोनों को भिन्न-भिन्न पुष्य माला अर्पित करने चाहिये। लक्ष्मीजी को यज्ञोपवीत न चढ़ायें।

सर्वप्रथम गणेशजी के ध्यान से पूजन का प्रारंभ करें। पूजन के समय ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का उच्चारण करना चाहिये। गणेश प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान कराकर फिर दूध, दही, घी, शहद तथा शक्कर के घोल से स्नान कराना चाहिये। स्नान के पश्चात् वस्त्र, जनेऊ, पहनाना चाहिये। तदन्तर रोली, अक्षत, सिंदूर, पुष्प चढ़ायें, और धूप, दीप, नैवेद्य, ऋतुफल, मेवा मिष्ठान का भोग लगायें। मिष्ठान में मोदक चढ़ायें। पंचमेवा (बादाम, काजू, द्राक्ष, पिस्ता, अखरोट) भी चढ़ाना चाहिये। गणेशजी के साथ उनके वाहन मूषक की मूर्ति का भी पूजन करना चाहिये।

गणेश पूजन के पश्चात् लक्ष्मी जी का पूजन करना चाहिये। पूजन के समय श्लोक का भी उच्चारण करना चाहिये। यदि शंख उपलब्ध हो तो शंख में स्नान सामग्री रखकर लक्ष्मीजी की प्रतिमा को स्नान कराना चाहिये। लक्ष्मीजी को यदि संभव हो तो कमल का पुष्प अवश्य चढ़ायें, क्योंकि कमल पुष्प लक्ष्मीजी को प्रिय है। केसर युक्त खोये की मिठाई का भोग लगायें। पूजन के समय ॐ महालक्ष्मै नमः मंत्र का उच्चारण करना है। पूजन के पश्चात् गणेश स्त्रोत व लक्ष्मी स्त्रोत या लक्ष्मी सहस्त्र नाम का पाठ करना चाहिये।

अन्त में घी के दीपक व कर्पूर से गणेश-लक्ष्मी की आरती करके जयकारा लगाकर प्रसाद ग्रहण करें। पूजा स्थल पर रात्रिभर अखण्ड़ दीपक जलाना चाहिये। इस दिन श्री यंत्र गणेश यंत्र, व व्यापार लाभ हेतु कुबेर यंत्र, बीसा यंत्र आदि की पूजा की जाती है।
गणेश-लक्ष्मी साधना हेतु निम्न मंत्र बहुप्रचलित हैं –

1. गणेश साधना हेतु मंत्र –
(क) ॐ श्रीं हृीं क्लीं ग्लौ गं गंगणपतये वर वरदये नमः।
(ख) ॐ गं गणेशाय नमः
(ग) हृीं गं हृीं महागणपतये नमः
(घ) ॐ गूं नमः
(ड़) ॐ हृीं गं हृीं वशमानय स्वाहा।

2. लक्ष्मी साधना के मंत्र –
(क) ऐं हृीं श्रीं क्लीं
(ख) नमः कमलवासिन्यै स्वाहा
(ग) ॐ श्रीं महालक्ष्मै नमः
(घ) ॐ ऐं श्रीं हृीं क्लीं हंसौ जगत्प्रसूव्यै नमः
(ड़) ॐ श्रीं हृीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हृीं श्रीं ॐ महालक्ष्मै नमः
मंत्र साधना में ध्यान, न्यास, विनियोग एवं तर्पण आदि क्रियाओं पर पूर्ण ध्यान देना आवश्यक है। मंत्र जप करते समय मन एकाग्रचित्त होना चाहिये। विश्वास एवं आस्था पूर्वक मंत्र साधना की जानी चाहिये तभी वांछित फल की प्राप्ति संभव है।

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