• 23 November 2024

बगलामुखी

Dr. R. B. Dhawan (Astrological Consultant)

बगलामुखी दश महाविद्याओं में ये एक अतिउग्र महाविद्या है, यह ब्रह्मास्त्रविद्या मानी जाती है, इस साधना के साधक मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन एवं विद्वेषण प्रयोग करने में समर्थ होते हैं, यह तंत्र विद्या प्रचण्ड तूफान की तरह शत्रु का मान-मर्दन करने में पूरी तरह से सक्षम है:-

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भारतीय तंत्र-शास्त्र अपने आप में अद्भुत आश्चर्य जनक एवं रहस्यमय रहा है। ज्यों-ज्यों हम इसके रहस्य की गहराई में जाते हैं। त्यों-त्यों हमें विलक्षण अनुभव होते हैं। कुछ तंत्र-मंत्र तो बलशाली एवं शीघ्र फलदायी हैं, ऐसे ही मंत्रों में एक मंत्र है – बगलामुखी मंत्र यह मंत्र तो प्रचण्ड तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है, इसी लिए इस मंत्र विद्या (साधना) को ब्रह्मास्त्रविद्या कहा गया है। एक तरफ जहाँ यह मंत्र शीघ्र ही सफलता दायक है, वहीं दूसरी ओर विशेष अनुष्ठान एवं मंत्र जप के द्वारा जो बगलामुखी यंत्र सिद्ध किया जाता है, वह भी तुरन्त कार्य सिद्ध में सहायता प्रदान करता है। बहुत से तांत्रिक तो यह कहते हैं कि पूरे विश्व की ताकत भी इस मंत्र से टक्कर लेने में असमर्थ है। मंत्रमहाणर्व में इसके बारे में लिखा है:-

बृह्मस्त्रं च प्रवक्ष्यामि स्दयः प्रत्यय कारण्।
मस्य स्मरणमात्रेण पवनोडपि स्थिरावते।।

इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद मात्र इच्छा शक्ति से ही प्रचण्ड पवन भी स्थिर हो जाती है। व्यक्ति के घर में इस मंत्र से सिद्ध यंत्र हो, या फिर जिस व्यक्ति ने अपनी भुजा पर इस यंत्र को बाँध रखा हो, उस की कभी भी शत्रु हानि नहीं कर सकते। अनेक तांत्रिकों का मत है कि आज के युग में जब पग-पग पर शत्रु हावी होने की चेष्टा करते हैं, और इस प्रकार से चारों तरफ शत्रु नीचा दिखाने का प्रयत्न करते हैैं, तब प्रत्येक उन्नति चाहने वाले व्यक्ति के लिये यह तांत्रिक साधना या यह यंत्र धारण करना आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य समझा जा सकता है। सारे शत्रु निवारण यंत्रों में बगलामुखी यंत्र सर्वश्रेष्ठ है यह सिद्ध तांत्रिक यंत्र अद्भुत व प्रभावशाली है, तथा किसी भी प्रकार के मुकद्दमें में सफलता देने में सहायक है। यह कह सकते हैं कि यह सिद्ध यंत्र शत्रुओं का मान-मर्दन करने में पूरी तरह से सक्षम है। जो अपने जीवन में बिना किसी शत्रुबाधा के उन्नति चाहता है, प्रगति से सर्वाेच्य शिखर पर पहुँचना चाहता है, उसके लिये बगलामुखी साधना आवश्यक है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस यंत्र का उपयोग जहाँ हिन्दू राजाओं ने अपने शत्रु के मर्दन के लिये किया था, वहीं कुछ विदेशी शासकों ने भी इसका प्रयोग कर अनेक कार्यों में सफलता प्राप्त की। इतिहास में उल्लेख मिलता है कि उन्होंने भी अपने शत्रुओं को परास्त करने के लिये बगलामुखी साधना कराई और सफलता प्राप्त की हिन्दू शासकों में तो चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, समुंद्रगुप्त ने भी बगलामुखी साधना अपने तांत्रिकों से कराकर शत्रुओं पर विजय एवं सफलता प्राप्त की।

इस साधना से मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन एवं विद्वेषण प्रयोग भली-भाँति सफलता पूर्वक सम्पन्न किये जाते हैं। जहाँ तक मेरा अनुभव है, उस मंत्र की साधना से बांझ स्त्री को भी मनचाही संतान प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है। इसके साथ ही साथ शत्रुओं का मान मर्दन कर अपार विजय प्राप्त की जा सकती है। दरिद्र व्यक्ति को सम्पन्न बनाने के लिये मार्ग प्रशस्त किय जा सकता है, और प्रतिकूल मुकद्दमें में भी पूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है। परन्तु भूल करके भी सामान्य व्यक्ति को इस प्रकार की साधना में नहीं बैठना चाहिये, क्योंकि यह साधना तलवार की धार के समान है। अतः यदि थोड़ी सी भी गलती हो जाये तो साधना करने वाला व्यक्ति ही कष्ट में आ जाता है, मेरे अपने अनुभव से तो यही कहूंगा कि बिना पूरा ज्ञान प्राप्त किये जिन लोगों ने यह साधना को प्रारम्भ किया वे साधना काल में ही पागल होते देखे गये हैं, और बड़ी कठिनाई से उन्हें सामान्य अवस्था में लाया गया। अतः सामान्य पण्डित भी इस प्रकार की साधना करने में हिचकिचाते हैं, जो भी व्यक्ति इस साधना को सम्पन्न करना चाहे, उन्हें चाहिये कि वह योग्य गुरू के निर्देशन में ही कार्य सम्पन्न करें, और यदि यंत्र सिद्धकर यंत्र धारण करना चाहे तो उन्हें चाहिये कि वह बगलामुखी सिद्धि किसे हुए विद्वान की देखरेख में यह साधना सम्पन्न करें। साधना काल में प्रत्येक साधक को दृढ़ता के साथ इनसे सम्बंधित नियमों का पालन करना चाहिये।

साधना काल में ध्यान रखने योग्य बातें:-
1. बगलामुखी साधना में साधक को पूर्ण पवित्रता के साथ मंत्र जप करना चाहिये और उसे पूरी तरह ब्रह्माचर्य व्रत का पालन करना चाहिये।

2. साधक को पीले वस्त्र धारण करना चाहिये, धोती तथा ऊपर ओढ़ने वाली चादर दोनों ही पीले रंग में रंगी हो।

3. साधक एक समय में भोजन करें और भोजन में बेसन से बनी हुई वस्तु का प्रयोग अवश्य करें।

4. साधक को दिन में नींद नहीं लेना चाहिये न व्यर्थ की बातचीत करें, और न किसी स्त्री से किसी प्रकार का सम्पर्क स्थापित करें।

5. साधना काल में साधक बगलामुखी यंत्र बनाकर उसे स्थापित कर उसके मंत्र जाप करें।

6. साधना काल में साधक बाल न कटवायें और न क्षौर कर्म ही करें।

7. यह साधना या मंत्र जाप रात्रि को होता है। अतः यह साधना रात के समय 10 बजे से प्रातः 4 बजे के बीच करें, परन्तु जो साधना सिद्धि कर चुके हैं, वे साधक या ब्राह्मण दिन को भी मंत्र जाप कर सकते हैं।

8. साधना काल में पीली गौ का घी प्रयोग में लें तथा दीपक में जिस रूई का प्रयोग करें उसे पहले पीले रंग में रंग कर सुखा लें और उसके बाद ही उस रूई को दीपक के लिये प्रयोग करें।

9. साधना में 36 अक्षर वाला मंत्र प्रयोग करना ही उचित है और यही मंत्र शीघ्र सफलता देने में सहायक है।

10. साधना घर के एकांत कमरे में देवी मंदिर में, पर्वत शिखर पर शिवालय में या गुरू के समीप बैठकर की जानी चाहिये।

11. इसके मारण, मोहन वंशीकरण, उच्चाटन कई प्रयोग हैं। अतः गुरू से आज्ञा प्राप्त कर उसके बताये हुये रास्ते से ही साधना करना चाहिये।

13. मोक्ष प्राप्ति के लिये क्रोध का स्तम्भन आवश्यक है, और यह इस प्रयोग से संभव है। अतः मोक्ष प्राप्ति के लिये भी इसका प्रयोग साधक और वैष्णव लोग करते हैं।

14. साधना में कुलाचार का पूजन, वीर साधना, चक्रानुष्ठान अवश्य ही करना चाहिये जिससे कि कार्य में पूर्ण सफलता प्राप्त हो सकें। महान शत्रुओं पर विजय आसुरी तत्वों पर विजय, शत्रुभय निवारण और शत्रु संहारक तथा राजकीय महाभय, कोर्ट केस और बंधन से मुक्ति के लिये यह अमोघ और शत्रुदमन ब्रह्मास्त्रविद्या कवच है।

इस मंत्र से सिद्ध साधक को बगलामुखी महायंत्र को सोने पर उत्कीर्ण करवा कर या भोजपत्र के ऊपर केशर, अष्टगंध से लिखकर प्रतिष्ठा पुरश्चरण विधान करके प्राण-प्रतिष्ठा पूर्वक सोने के कवच में बंद कर देना चाहिए, बाद में ब्रह्मास्त्र बगलामुखी सवालक्ष मंत्र से सिद्ध करके धारण करने से शत्रु का दमन होता है। राजकीय केस में भी सफलता मिलती है। इस ब्रह्मास्त्र प्रयोग से सर्वकार्य में विजय, यश प्राप्त होता है। तथा मारण-मोहन, वशीकरण, स्तंभन, उच्चाटन, मूठ-चोट आदि तमाम शत्रु द्वारा उत्पन्न संकट दूर होते हैं। भूत-प्रेतादि महाभय नष्ट होते हैं, तथा सर्व प्रकार से सर्व दिशाओं से विजय प्राप्त होती है। ऐसा अमोघ ब्रह्मास्त्रविद्या कवच जो जगत में सर्वोपरि है, उससे ऊँचा कोई यंत्र, मंत्र या तंत्र जगत में नहीं है।

श्री ब्रह्मास्त्र महाविद्या मंत्र – तंत्र शास्त्र में दशमहाविद्या की महिमा अतिविशिष्ठ है। उसमें सर्वोपरि बगला उपासना जो सर्वसिद्ध है। परन्तु वह गुरूगम्य होने से योग्य गुरू के पास मंत्र दीक्षा ग्रहण करने के बाद उपासना करने से सिद्धि प्राप्त होती है। पुरश्चरण सिद्धि करने से या योग्य विद्वान के पास करवाने से सिद्ध होता है। क्योंकि क्रिया शुद्धि के बिना मंत्र सिद्धि नहीं होती है।

पुरश्चरण:-

पीताम्बरधरो भूत्वा पूर्वाशाभिमुखः स्थितः। लक्षमेकं जपेन्मत्रं हरिद्रा ग्रन्थि मालया।।
ब्रह्मचर्य स्तो नित्यं प्रयतो ध्यान तत्परः। पियंगुकुसमे नापि पीतयपुष्येन होमयेत्।।

बगलामुखी पुरश्चरण के लिये एकान्त जगह, जमीन गाय के गोबर से लीपी हुई, पीला आसन, पीला पीताम्बर, पीली हल्दी की माला, पीला पात्र, सुवर्ण प्रतिमा यंत्र तथा पीले फूल, केसर, हल्दी, अष्टगंध से अर्चन फिर अंगन्यास, करन्यास आदि करके आह्वान ध्यान फिर सवालक्ष मंत्र अनुष्ठान, दशांश पीत पुष्प से हवन, तर्पण, मार्जन, ब्रह्मभोजन, कुमारी पूजन, भोजन से अनुष्ठान सिद्ध होता है।

श्री बगलामुखी मंत्र –
ॐ हृीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदंस्तम्भ्यजिह्वां। कीलय बुद्धिं विनाशाय हृीं ऊँ स्वाहा।।

यह महामंत्र मूल मंत्र है जिसका पुरश्चरण करने से पहले निम्न मंत्रों से पूजा करनी चाहिये।

बगलामुखी गायत्री मंत्र –
ॐ बगलामुख्यैच विद्नहे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नौदेवी प्रचोदयात्।।

बगलामुखी देवी यंत्र मूर्ति, न्यास, प्राण प्रतिष्ठा, महापूजन करके निम्न मंत्र से ध्यान करके पुरश्चरण करना चाहिये।

विनियोग:-
ॐ अस्य श्री बगलामुखी मन्त्रस्य नारद ऋषिः त्रिष्टुप छन्दः बगलामुखी देवता हृीं बीजम स्वाहा शक्तिः ममाअभीष्ट सिध्यर्थेजपे विनियोगः।

ध्यानम:-
मध्ये सुधाब्धिमणि मण्डय रतन्वेधां। सिंहा सनोपरि गतां पर पीतवर्णाम।।
पीताम्बरा भरण-मालय- विभूषितांगी। देवी स्मरामि धृत-मुदगर वैरि जिह्वाम।।
जिह्यग्र मादाय करेण देवी वामेन शत्रुन परिपीडयन्तीम्। गदाभिधातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढयां द्विभुजां नमामि।।

उपरोक्त ध्यानादि के बाद पूर्व दिशा में मुख रखकर सरसों तेल का दीपक जलाकर कलश स्नापनादि करके एक ही आसन पर नियमित रूप से हर रोज 41 माला 31 दिन तक करें। और सवालक्ष पूर्ण करके दशांश क्रम से महापुरश्चरण सिद्ध होता है, तथा बगलामुखी कवच ब्रह्मस्त्र गले में या भुजा में धारण करने से त्रैलोक्य विजयी भवेत् हर जगह से विजय प्राप्त होती है।

बगला साधना से किस-किस प्रकार की समस्या का समाधान संभव है :-
बगलामुखी उपासना से मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, अनिष्ट ग्रहों के आवरणों से मुक्ति, मन इच्छित व्यक्ति का मिलन, शत्रु पर विजय, कोर्ट केस में विजय, बंधन, जेल से मुक्ति होती है, तथा शत्रु के अलावा पर बुद्धि, देव, दानव, सर्प और हिंसक प्राणियों पर भी स्तंभन होता है।

देवी के प्रमुख मंदिर:- बगलामुखी का मन्दिर दतिया गोहाटी आसाम में है। गोहाटी जयपुर से डायरेक्ट वायुयान द्वारा जाया जा सकता है।

बगलामुखी साधना में प्रयोग होने वाली सामग्री :-
आकर्षण:- शहद, घी, मिश्री के साथ नमक का हवन करने से सभी का आकर्षण होता है।

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