महालक्ष्मी पूजन के लिए मुहूर्त
दीपावली का पर्व इस वर्ष 24 अक्तूबर 2022 के दिन है। आज मैं आपको दीपावली के दिन महालक्ष्मी पूजन का विशेष मुहूर्त बताऊंगा। वह मुहूर्त जिस में माता महालक्ष्मी की पूजा साधना करने से वर्षभर माता लक्ष्मी स्थिर रहती हैं। और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा वर्षभर बनी रहती है।
तंत्रशास्त्र तथा अनेक धार्मिक ग्रंथों में दीपावली पर्व पर महालक्ष्मी साधना के अनेक नियम उपक्रम बताये गये हैं। महालक्ष्मी साधना और पूजन का विशेष महत्व है। अनुभवी साधक इस दिन महानिशा काल में पडने वाले विशेष मुहूर्त की वर्ष भर प्रतीक्षा करते हैं, और अपने-अपने बुद्धि-विवेक तथा यथा संभव साधनों से माता लक्ष्मी की कृपा पाने के क्रम-उपक्रम करते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक कृष्णा अमावस्या को भगवती महालक्ष्मी विश्व भ्रमण पर भगवान विष्णु के साथ निकलती हैं, तथा जहां अपनी पूजा-उपासना होते हुए देखती हैं, वहां अपना निवास बना लेती हैं। लक्ष्मी जी को रिझाने में साधक की आस्था और संयम का विशेष महत्व होता है।
‘रूद्रयामल तंत्र’ में लिखा है कि जब सूर्य और चन्द्रमा दोनो तुला राशि में गोचर करते हैं, तब भगवती लक्ष्मी की साधना करने से धन-धान्य की विशेष प्राप्ति होती है।
‘शक्ति संगम तंत्र’ के काली खण्ड में अनेक विशिष्ट कालों का वर्णन मिलता है- जब लक्ष्मी जी की कृपा पाने के उपक्रम किए जाते हैं। परन्तु उनमें भी दीपावली की रात्री को विशेष रूप से लक्ष्मी साधना के लिए सिद्ध मुहूर्त बताया गया है।
‘श्री विद्यार्णव तंत्र’ में इस कालरात्रि को एक महाशक्ति सम्पन्न मुहूर्त माना गया है। कालरात्रि मातृकाओं का भी इस ग्रंथ में उल्लेख मिलता है। कालरात्रि शक्ति को श्री विद्या का अंग कहा गया है। श्री विद्या की उपासना से सुख, सौभाग्य और समृद्धि की स्वयं ही प्राप्ति होने लगती है। तंत्र शास्त्र में इस मुहूर्त को गणेश्वरी कहा गया है, ऋद्धि-सिद्धि को देने वाली यह रात्रि महान है।
‘मंत्र महोदधि’ में इस रात्रि के विषय में लिखा है कि, मैं उदीयमान सूर्य जैसी आभा बिखेरते हुए बालों वाली, काले वस्त्रों वाली, चारों हाथों में दण्ड, लिंग, वर तथा भुवन को धारण करने वाली, आभूषणों से सुभोभित, प्रसन्नवदना, देवगणों से सेवित तथा कामबांण से विकसित शरीर वाली मायारात्रि, कालरात्रि का ध्यान करता हंू।
इस वर्ष 2022 में 24 अक्तूबर सांय सवा 5 बजे तक कार्तिक चतुर्दशी रहेगी। इसके उपरांत अमावस्या आरम्भ होगी जो की 25 अक्तूबर 2022 के दिन सांय 4 बजे तक रहेगी। क्योकि दीपावली रात्रि प्रधान पर्व है, इस कारण से 24 अक्तूबर की रात्रि में ही महालक्ष्मी पूजन करना उत्तम माना गया है।
दीपावली पूजन के लिये हमेशा स्थिर लग्न का चुनाव किया जाता है, जिसमें इस वर्ष वृषभ लग्न सांय 6: 45 से आरम्भ होकर 8: 46 तक रहेगी। 24 अक्तूबर के दिन कार्तिक अमावस्या सांय सवा 5 बजे से आरम हो जाएगी। अतः यह वृषभ लग्न पूजा के लिए शुभ बैठ रही है, क्योकि इस समय चर की चौघड़िया भी चल रही होगी, जो की इस दिन सांय 5: 43 से आरम्भ होकर 7: 20 तक रहेगी। और इस दिन सांय 8 बजे तक प्रदोषकाल भी रहेगा। अतः इस प्रकार श्री गणेश सहित माता लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त सांय 6: 45 से 7: 20 के मध्य रहेगा। यह समय हर गृहस्थ के लिए महालक्ष्मी पूजन के लिए सर्वोत्तम होगा।
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2. तंत्र साधना में दीपावली की रात्रि को कालरात्रि भी कहा जाता है। तंत्र साधना करने वाले साधकों के लिए कालरात्रि का समय विशेष सिद्धिदायक होता है, इस दिन साधना हेतु मुहूर्त के लिए पहली शर्त यह है की महालक्ष्मी साधना के समय सूर्य और चंद्रमा दोनो का ही शुक्र का तुला राशि में होना आवश्यक है। इस वर्ष 24 अक्तूबर की रात्रि सूर्य तो तुला राशि में पहले से ही है, परंतु चंद्रमा तुला राशि में रात्रि 02: 15 के बाद प्रवेश करेंगे। इस प्रकार मध्य रात्रि 02:15 के बाद सूर्य और चंद्रमा दोनो ही ग्रह शुक्र की तुला राशि में भ्रमण कर रहे होंगे।
‘मुहूर्त चिन्तामणि’ तथा ज्योतिष के अनेक ग्रंथों में इस रात्रि का महत्व इस प्रकार से मिलता है- ‘दीपावली की रात्रि को महानिषा काल में (आधी रात्रि के बाद जो दो मुहूर्त का समय होता है), उसी को महानिशा काल कहते हैं। उस महानिशा काल में विशेष मंत्रों की साधना, तंत्र-मंत्र-यंत्र साधना जप-तप आदि करने से अक्ष्य लक्ष्मी की र्प्रािप्त होती है। इस मुहूर्त के समय में सूर्य तथा चंद्रमा दोनो तुला राशि में होनेे चाहिएं। क्योकि तुला राशि के स्वामी शुक्र ग्रह को धन-धान्य तथा एैश्वर्य का प्रतीक ग्रह माना गया है।
सूर्य और चंद्रमा दोनो ही इस वर्ष 24 अक्तूबर 2022 की मध्य रात्रि 02: 15 के बाद तुला राशि में भ्रमण कर रहे होंगे। मुहूर्त की दूसरी शर्त सिंह लग्न है, सिंह अर्थात स्थिर लग्न होना भी आवश्यक है। सिंह लग्न जो 24-25 अक्तूबर की मध्य रात्रि 1: 20 से आरम्भ होकर 3: 39 तक रहेगी। इस समय में शुभ की चौघड़िया 01:49 से 03: 26 तक तथा अमृत का चौघडिया 03: 26 से 05:04 तक, दोनो ही शुभ हैं, और इसके उपरांत चर का चौघडिया भी शुभ है, जो कि 05: 04 से आरम्भ होकर 06: 42 तक रहेगा।
इस लिये- महालक्ष्मी मंत्र या कोई भी तांत्रिक साधना अथवा अपने इष्ट देव की साधना आरम्भ करने का शुभ मुहूर्त मध्य रात्रि 02:15 के बाद से आरम्भ होकर 03: 39 के मध्य होगा। इसी समय साधक अपनी साधना आरम्भ कर सकते हैं, आरम्भ करने के बाद सूर्योदय तक का समय विशेष और सिद्धियां देने वाला होगा। इस वर्ष 25 अक्तूबर 2022 के दिन दोपहर 2 बजे से सूर्य ग्रहण आरम्भ होगा, जिसका सूतक 24 अक्तूबर की रात्रि 2 बजे से आरम्भ हो जायेगा, अतः तंत्र साधक रात्रि 2 बजे के बाद स्नानादि करके ही आसन पर बैठें।
इस पूजन में तंत्र साधक सर्वप्रथम न्यासादि करके अष्टोपचार या षोडोषोपचार पूजन, गणपति सहित माता महालक्ष्मी का ध्यान करते हुए करें, और फिर जिस मंत्र या यंत्र को सिद्ध करना चाहते हैं, उस से सम्बंधित साधना आरम्भ कर सकते हैं। आप माता महालक्ष्मी का यह मंत्र भी सिद्ध कर सकते हैं-
ऊँ श्रीं हृीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हृीं श्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नमः।
इस मंत्र का जप कमलबीज की माला से किया जाता है। इस साधना के लिए 11000 मंत्र जप करना आवश्यक है।
मैं स्वयं भी इसी सिद्ध मुहूर्त में हर वर्ष अपने परिजनों के लिये तथा अपने प्रिय शिष्यों के लिए कुछ यंत्र सिद्ध किया करता हूं। इस दिन सिद्ध किये जाने वाले यंत्रों की शक्ति एक वर्ष तक बनी रहती है। मेरे द्वारा सिद्ध किये जाने वाले यंत्रों की संख्या बहुत ही सीमित होती है। क्योंकि मुहूर्त का समय बहुत सीमित होता है।