• 27 April 2024

प्रशासनिक अधिकारी योग

इस लेख में प्रशासनिक अधिकारी बनाने वाले प्रमुख ज्योतिषीय योग्य वर्णित किये गये हैं :-

Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant),

कुंडली विश्लेषण से आजीविका तथा आजीविका के साधनों का विचार सहज ही किया जा सकता है, परंतु आज के युग में यह विश्लेषण एक अनुभवी व विद्वान आचार्य ही कर सकता है, क्योंकि आज के युग में यह विषय बहुत जटिल सा हो गया है, जटिल इस लिए की पूर्वकाल में आजीविका के क्षेत्र सीमित हुआ करते थे, परंतु आज आजीविका के क्षेत्रों का अत्यधिक विकास होता जा रहा है, अत: ज्योतिषीयों के लिए भी इस विषय को लेकर अनेक कन्फ्यूजन हो रहे हैं।

अब कुंडली से आजीविका के साधनों का विचार करने हेतु कुछ ज्योतिषीय सूत्र लिख रहे हैं, जिन्हें ध्यान रखकर ज्योतिषीय विश्लेषण किया जायेगा तो परिणाम अधिक सटीक होंगे-

– पंचम भाव से शिक्षा तथा नवम भाव से उच्च शिक्षा एवं भाग्य के बारे में विचार किया जाता है, सबसे पहले जातक की कुंडली में पंचम भाव तथा उसका स्वामी कौन है, तथा पंचम भाव पर किन-किन ग्रहों की दृष्टि है, ये ग्रह शुभ-अशुभ हैं, अथवा मित्र-शत्रु, अधिमित्र हैं, विचार करना चाहिए।

– दूसरी बात नवम भाव एवं उसका स्वामी, नवम भाव में स्थित ग्रह, नवम भाव पर ग्रहों की दृष्टि आदि शुभाशुभ को जानना आवश्यक है।

– बुध और गुरु आजीविका से सम्बंधित क्षेत्र के लिए ज्ञान और शिक्षा प्रदान करते हैं। यद्यपि क्षेत्र इनका भी सीमित है, लेकिन इन पर जिम्मेदारियां ज्यादा रहती हैं। इसलिये कुंडली में इन ग्रहों का शक्तिशाली होना भी आवश्यक तथा महत्वपूर्ण है। इस लेख के माध्यम से हम किसी एक या दो ग्रहों से संबंधित केरियर की चर्चा करेंगे।

– जन्म कुंडली में वैसे तो सभी बारह भाव एक दूसरे के पूरक हैं, किंतु पराक्रम, ज्ञान, कर्म और लाभ इनमें महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही इन सभी भावों का प्रभाव नवम भाग्य भाव से तय होता है। अत: यह परम शुभ एवं महत्वपूर्ण भाव है।

– कभी-कभी कुंडली में बनने वाले योग ही बताते हैं कि व्यक्ति की आजीविका का क्षेत्र क्या रहेगा ?

– प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश की लालसा अधिकांश लोगों में रहती है, आईये देखें कि कौन-कौन से योग प्रशासनिक अधिकारी बनने में आपको सफलता दिला सकते हैं।

– प्रशासनिक अधिकारी बनकर सफलता पाने के लिए सूर्य, गुरु, मंगल, राहु व चन्द्र आदि ग्रह अवश्य बली होने चाहिए।

– मंगल से जातक में साहस एवं पराक्रम आता है, जोकि अत्यन्त आवश्यक है। सूर्य से नेतृत्व करने की क्षमता मिलती है, गुरु से विवेक सम्मत निर्णय लेने की क्षमता मिलती है, और चन्द्र से शालीनता आती है, एवं मस्तिष्क स्थिर रहता है।

– यदि कुण्डली में अमात्यकारक ग्रह बली है, अर्थात् स्वराशि, उच्च या वर्गोत्तम में है, एवं केन्द्र में हो, या तीसरे या दसवें हो तो, अत्यन्त उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।

– अमात्यकारक ग्रह नवांश में आत्मकारक ग्रह से केन्द्र, तीसरे या एकादशा भाव में हो तो, जातक बाधा रहित नौकरी करता है।

– एकादशेश नौवें भाव में हो, या दशमेश के साथ युत हो, या दृष्ट हो तो, जातक में प्रशासनिक अधिकारी बनने की योग्यता तथा संभावना अधिक होती है।

– पंचम भाव में उच्च का गुरु या शुक्र हो, और उस पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो, एवं सूर्य अच्छी स्थिति में हो तो, जातक इन दशाओं में उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनता है।

– सूर्य और मंगल यानी व्यवस्था और साहस के कारक परम शुभ ग्रह माने गये हैं। सूर्य को कुंडली की आत्मा कहा गया है। और शोधपरक, आविष्कारक, रचनात्मक क्षेत्र से संबंधित कार्यों में इनका विशेष हस्तक्षेप रहता है। मशीनरी अथवा वैज्ञानिक कार्यों की सफलता सूर्यदेव के बगैर संभव ही नहीं है। जब यही सूक्ष्म कार्य मानव शरीर से जुड़ जाता है तो, शुक्र का रोल आरंभ हो जाता है, क्योंकि मेडिकल एस्ट्रोलॉजी में शुक्र तंत्रिका तंत्र विज्ञान के कारक हैं। यानी शुक्र को न्यूरोलॉजी और गुप्त रोग का ज्ञान देने वाला माना गया है। सजीव में शुक्र का रोल अधिक रहता है, और निर्जीव में सूर्य का रोल अधिक रहता है।

लेकिन, जब इन्हीं सूर्य के साथ मंगल मिले हों तो, पुलिस, सेना, इंजीनियर, अग्निशमन विभाग, कृषि कार्य, जमीन-जायदाद, ठेकेदारी, सर्जरी, खेल, राजनीति तथा अन्य प्रबंधन कार्य के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा सकते हैं। यदि इनकी युति पराक्रम भाव में दशम अथवा एकादश भाव में हो इंजीनियरिंग, आईआईटी वैज्ञानिक बनने के साथ-साथ अच्छे खिलाड़ी और प्रशासनिक अधिकारी बनना लगभग सुनिश्चित कर देती है। अधिकतर वैज्ञानिक, खिलाडिय़ों और प्रभावशाली व्यक्तियों की कुंडली में यह युति और योग देखे जा सकते हैं। आज के प्रोफेशनल युग में इनका प्रभाव और फल चरम पर रहता है। इसलिये यह मानकर चलें कि यदि कुंडली में मंगल, सूर्य तीसरे दसवे या ग्याहरवें भाव में हो तो, अन्य ग्रहों के द्वारा बने हुए योगों को ध्यान में रखकर उपरोक्त कहे गये क्षेत्रों में अपना भाग्य आजमाना चाहिये। यदि इनके साथ बुध भी जुड़ जायें तो, एजुकेशन, बैंक और बीमा क्षेत्र में किस्मत आजमा सकते हैं। लेकिन, इसके लिये कुंडली में बुध ओर गुरु की स्थिति पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

– लग्नेश और दशमेश स्वराशि या उच्च का होकर केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो, और गुरु उच्च या स्वराशि में हो तो, जातक प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
लग्न में सूर्य और बुध हो, और गुरु की शुभ दृष्टि इन पर हो तो, जातक प्रशासनिक सेवा में उच्च पद प्राप्त करने में सफल रहता है। कुण्डली में नौकरी में सफलता मिलने की संभावनाएं और अधिक हो जाती हैं, यदि इन कारक ग्रहों की दशाएं भी मिल जाएं।
आई. ए. एस. बनने के लिये तृतीयेश, षष्ठेश, दशमेश व एकादशेश की दशा मिलनी सोने में सुहागा होता है, अर्थात् सफलता निश्चित है!

दशम में कम एवं एकादश में सर्वाष्टक वर्ग की संख्या अधिक होनी चाहिए। यह अन्तर जितना अधिक होता है, ऐसा होने पर अल्प श्रम में अधिक लाभ् होता है।
तीसरे, छठे, दसवें, एकादश में सर्वाष्टक वर्ग की संख्या बढ़ते क्रम में हो तो, प्रशासनिक सेवाओं में धन, यश एवं उन्नति तीनों एक साथ मिलते हैं! ऐसे अधिकारी की सभी प्रशंसा करते हैं!

उक्त ज्योतिषीय योगों का कुण्डली में विचार कर विद्वान जातक के प्रशासनिक सेवाओं में सफलता का निर्णय करके जातक को उचित सलाह देकर यश एवं धन के भागी बन सकते हैं! ये योग इस क्षेत्र में अच्छा कैरियर बनाते हैं!

कुण्डली में ग्रहों से बनने वाले ज्योतिषीय योग भी जातक की आजीविका का क्षेत्र बताते हैं। अधिकांश लोग प्रशासनिक सेवाओं में अपना कैरियर बनाकर सफलता पाना चाहते हैं। आई. ए. एस. जैसे उच्च पद की प्राप्ति के लिये व्यक्ति की कुण्डली में सर्वप्रथम शिक्षा का स्तर सर्वोत्तम होना चाहिए। कुंडली के दूसरे, चतुर्थ, पंचम एवं नवम भाव व भावेशों के बली होने पर जातक की शिक्षा उतम होती है। शिक्षा के कारक ग्रह बुध, गुरु व मंगल बली होने चाहिएं, यदि ये बली हैं तो विशिष्ट शिक्षा मिलती है, और जातक के लिए सफलता का मार्ग खोलती है।

छठा, पहला व दशम भाव व भावेश बली हों तो, प्रतियोगी परीक्षा में सफलता अवश्य मिलती है। सफलता के लिये समर्पण, एकाग्रता एवं परिश्रम की आवश्यकता होती है। इसका बोध तीसरे भाव एवं तृतीयेश के बली होने पर होता है। यदि ये बली हैं तो, जातक में समर्पण, एकाग्रता एवं परिश्रम करने की क्षमता होती है, और व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा में सफलता की मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।

सूर्य को राजा और गुरु को ज्ञान का कारक कहा गया है। ये दोनों ग्रह मुख्य रूप से प्रशासनिक प्रतियोगिताओं में सफलता और उच्च पद की प्राप्ति में सहायक हैं। जनता से अधिक वास्ता पड़ता है, इसलिए शनि का बली होना अत्यन्त आवश्यक है। शनि जनता व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच की कड़ी है। मंगल को स्याही व बुध को कलम कहा जाता है, और ये बली हों तो, जातक अपनी कलम का लोहा नौकरी में अवश्य मनवाता है।

उच्च शिक्षा के योग :-
आई. ए. एस. जैसे उच्च पद की प्राप्ति के लिये व्यक्ति की कुण्डली में शिक्षा का स्तर अच्छा होना चाहिए, शिक्षा के लिये शिक्षा के भाव दूसरा, चतुर्थ भाव, पंचम भाव व नवम भाव को देखा जाता है, इन भाव/भावेशों के बली होने पर व्यक्ति की शिक्षा उतम मानी जाती है, शिक्षा से जुडे ग्रह हैं- बुध, गुरु व मंगल इसके अतिरिक्त शिक्षा को विशिष्ट बनाने वाले योग भी व्यक्ति की सफलता का मार्ग खोलते है, शिक्षा के अच्छे होने से व्यक्ति नौकरी की परीक्षा में बैठने के लिये योग्यता आती है।

आवश्यक भाव: छठा, पहला व दशम घर किसी भी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा में सफलता के लिये लग्न, षष्टम, तथा दशम भावों/ भावेशों का शक्तिशाली होना तथा इनमे पारस्परिक संबन्ध होना आवश्यक है, ये भाव/ भावेश जितने समर्थ होगें, और उनमें पारस्परिक सम्बन्ध जितने गहरे होगें, उतनी ही उंचाई तक व्यक्ति जा सकेगा।

सफलता के लिये पूरी तौर से समर्पण तथा एकाग्र मेहनत की आवश्यकता होती है, इन सब गुणौ का बोध तीसरा घर कराता है, जिससे पराक्रम के घर के नाम से जाना जाता है, तीसरा भाव इसलिये भी बहुत महत्वपूर्ण है क्यों की यह दशम घर से छठा घर है, इस घर से व्यवसाय के शत्रु देखे जाते है, इसके बली होने से व्यक्ति में व्यवसाय के शत्रुओं से लडने की क्षमता आती है, यह घर उर्जा देता है, जिससे सफलता की उंचाईयों को छूना संभव हो पाता है।

आवश्यक ग्रह:-
कुंडली के सभी ग्रहों में सूर्य को राजा की उपाधि दी गई है, तथा गुरु को ज्ञान का कारक कहा गया है, ये दो ग्रह मुख्य रुप से प्रशासनिक प्रतियोगिताओं में सफलता और उच्च पद प्राप्ति मे सहायक ग्रह माना जाता है, एेसे अधिकारियों के लिये जिनका कार्य मुख्य रुप से जनता की सेवा करना है, उनके लिये शनि का महत्व अधिक हो जाता है, क्योकि शनि जनता व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच के सेतू है, कई प्रशासनिक अधिकारी नौकरी करते समय भी लेखन कार्य द्वारा अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने में भी सफल हुए है, यह मंगल व बुध की कृपा के बिना संभव नहीं है, इसी लिय मंगल को स्याही व बुध को कलम कहा जाता है।

प्रशासनिक अधिकारी हेतु कैरियर चयन के लिये कुंडली में सूर्य, गुरु, मंगल, राहु व चन्द्र आदि ग्रह बलिष्ठ होने चाहिएं, मंगल से व्यक्ति में साहस, पराक्रम व जोश आता है, जो प्रतियोगीताओं में सफलता की प्राप्ति के लिये अत्यन्त आवश्यक है।

अमात्यकारक ग्रह की भूमिका:-
प्रशासनिक अधिकारी के पद की प्राप्ति के लिये अमात्यकारक ग्रह की बडी भूमिका होती है, अगर किसी कुंडली में अमात्यकारक बली है, (स्वग्रही, उच्च के, वर्गोतम) आदि स्थिति में हों, तथा केन्द्र में है, इसके अतिरिक्त बलशाली अमात्यकारक तीसरे व एकादश घरों में होने पर व्यक्ति को अपने जीवन काल में काफी उंचाई तक जाने का मौका मिलता है,
इस स्थिति में व्यक्ति को एसे काम करने के अवसर मिलते हैं, जिनमें वह आनन्द का अनुभव कर पाता है। अमात्यकारक नवाशं में आत्मकारक से केन्द्र अथवा तीसरे या एकादश भाव में हो तो, व्यक्ति को सुन्दर व बाधा रहित नौकरी मिलती है, इसलिये अमात्यकारक की नवाशं में स्थिति भी देखना आवश्यक है।

ग्रह दशायें :-
जआतक की कुंडली में नौकरी में सफलता मिलने की संभावनाएं अधिक हैं, और दशा भी उन्ही ग्रहों से संबन्धित मिल जाये तो, सफलता अवश्य मिलती है, जातक को आई. ए. एस. बनने के लिये दशम, छठे, तीसरे व लग्न भाव/भावेशों की दशा मिलनी अच्छी होगी।

अन्य योग :-
एकादश भाव का स्वामी नवम घर में हो, या दशम भाव के स्वामी से युति या दृष्ट हो तो व्यक्ति के प्रशासनिक अधिकारी बनने की संभावना बनती है,
पंचम भाव में उच्च का गुरु या शुक्र होने पर उस पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो, तथा सूर्य भी अच्छी स्थिति में हो तो, व्यक्ति इन्ही ग्रहों की दशाओं में उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनता है।

लग्नेश और दशमेश स्वग्रही या उच्च के होकर केन्द्र या त्रिकोण में हों, और गुरु उच्च का या स्वग्रही हो तो, भी व्यक्ति की प्रशासनिक अधिकारी बनने की प्रबल संभावना होती है।

कुण्डली के केन्द्र में विशेषकर लग्न में सूर्य, और बुध हों, और गुरु की शुभ दृष्टि इन पर हो तो, जातक प्रशासनिक सेवा में उच्च पद प्राप्त करने में सफल रहता है।

ग्रहानुसार करें विषय चयन :-
यदि चौथे व पाँचवें भाव पर :-
1 सूर्य का प्रभाव हो तो – आर्ट्स, विज्ञान।
2 मंगल का प्रभाव हो तो – जीव विज्ञान।
3 चंद्रमा का प्रभाव हो तो – ट्रेवलिंग, टूरिज्म।
4 बृहस्पति का प्रभाव हो तो – किसी विषय में अध्यापन की डिग्री।
5 बुध का प्रभाव हो तो – कॉमर्स, कम्प्यूटर।
6 शुक्र का प्रभाव हो तो – मीडिया, मास कम्युनिकेशन, गायन, वादन।
7 शनि का प्रभाव हो तो – तकनीकी क्षेत्र, गणित।

इन मुख्य ग्रहों के अलावा ग्रहों की युति-प्रतियुति का भी अध्ययन करें, तभी किसी निष्कर्ष पर पहुँचें। उक्त ज्योतिषीय योग कुंडली में विचार कर जातक के प्रशासनिक सेवाओं में सफलता का निर्णय करके यश एवं धन के भागी बन सकते हैं! ये योग उपरोक्त क्षेत्रो में अच्छा कैरियर सूचित करते हैं।

कैरियर का चुनाव करने के लिए कुंडली विश्लेषण से आजीविका तथा आजीविका के साधनों का सटीक विचार किया जा सकता है, परंतु यह आवश्यक है कि विश्लेषण एक अनुभवी व विद्वान आचार्य से ही करवाया जाये।

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