• 3 December 2024

दीपावली मुहूर्त 2020

दीपावली पूजा का शुद्ध मुहूर्त 2020

Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant),

पंच पर्व दीपावली एक महापर्व है, जिस का आरम्भ कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से होकर कार्तिक शुक्ल द्वितीया (भाई-दूज) तक रहता है।दीपावली के पर्व पर धन-धान्य की प्राप्ति के लिये भगवती लक्ष्मी का आवाहन व षोडशोपचार पूजन किया जाता है।

इस वर्ष दीपावली 14 नवंबर 2020 कार्तिक कृष्ण अमावस्या शनिवार के दिन विशाखा नक्षत्र, के सुखद संयोग में मनाई जायेगी। इस दिन अमावस्या का आरम्भ दोपहर 02 वजकर 10 मिनट से होगा,

तथा विशाखा नक्षत्र सांय 06 बजकर 40 मिनट से आरम्भ होगा। पिछले कई दिनों से में दीपावली मुहूर्त के विषय में अध्ययन तथा खोज कर रहा था। अनेक ग्रंथों का अध्ययन करने पर कुछ महत्वपूर्ण तथ्य सामने आये हैं :-1. ‘शक्ति संगम तंत्र’ काली खण्ड के अनुसार शास्त्रों में अनेक विशिष्ट मुहूर्तों का वर्णन मिलता है, जिन मुहूर्तों में लक्ष्मी जी की विशेष कृपा पाने के लिये विशेष साधनाएं की जाती हैं, तथा उन में भी दीपावली की रात्रि को विशेष रूप से महालक्ष्मी साधना के लिये गोपनीय मुहूर्त बताये गये हैं।

2. रूद्रयामल तंत्र’ के अनुसार जब सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में गोचरवश भ्रमण करते हैं, तब महालक्ष्मी साधना करने से अधिक धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

3. ‘श्री विद्यार्णव तंत्र’ के अनुसार कालरात्रि ही महाशक्ति रात्रि है। कालरात्रि मातृकाओं का भी इस ग्रंथ में उल्लेख मिलता है। कालरात्रि को (श्रीविद्या महालक्ष्मी साधना के लिये जो विशेष साधना आदि शंकराचार्य ने बताई है।) का अंग कहा गया है। श्रीविद्या की साधना से सुख-सौभाग्य और समृद्धि की स्वतः ही प्राप्ति होने लगती है। मंत्र शास्त्र में इसको गणेश्वरी विद्या के नाम से जाना गया है, जो ऋद्धि-सिद्धि को देने वाली है।

4. मंत्र महोदघि में कालरात्रि, महालक्ष्मी के विषय में वर्णन इस प्रकार से मिलता है – ‘उदीयमान सूर्य जैसी आभावाली, बिखरे हुये बालों वाली, काले वस्त्र वाली, त्रिनेत्री, चारों हाथों में दण्ड, लिंग, वर तथा भुवन को धारण करने वाली, आभूषणों से सुशोभित, प्रसन्न वदंना, देवगणों से सेवित तथा कामबाण से विकसित शरीर वाली माया तथा काल रात्रि का ध्यान करता हूँ।

5. मुहूर्त चिन्तामणि तथा कुछ ज्योतिषीय ग्रंथो में इस रात्रि का महत्व इस प्रकार से वर्णित है- दीपावली की रात्रि को आधी रात्रि के बाद जो दो मुहूर्त का समय है, उसको महानिशीथ काल कहते हैं। उस काल में महालक्ष्मी की आराधना, साधना करने से अक्ष्य-लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इस काल में सूर्य तथा चंद्रमा तुला राशि में होते हैं। इस राशि के स्वामी शुक्र को धन-धान्य तथा ऐश्वर्य का प्रतीक माना गया है।

महालक्ष्मी (दीपावली) पूजन का समय (मुहूर्त) निर्णय-
इस लेख में आगे दिये गये निर्दिष्ट शुभ मुहूतों में अपने निवास स्थान में ही किसी स्वच्छ एवं पवित्र स्थान में आटा, हल्दी, अक्षत् एवं पुष्पादि से अष्टदल कमल बनाकर श्रीमहालक्ष्मी का आवाहन एवं स्थापना करके सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजार्चना करनी चाहिये। पूजन सामग्री में विभिन्न प्रकार की मिठाई, फल-पुष्पाक्षत, धूप, दीपदि सुगंधित वस्तुयें सम्मीलित करनी चाहियें।

महालक्ष्मी आवाहन मंत्र:- कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामाद्र्रां ज्वलंती तृप्तां तर्पयंतीम्। पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप हव्ये श्रियम्।। (श्री सूक्तम्)

लक्ष्मी-गणेश पूजा मंत्र:- ॐ गं गणपतये नमः।। लक्ष्म्यै नमः।। नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रनत्रानां सा मे भूयात्त्वदर्चनात्।।
से लक्ष्मी की, एरावतसमारूढो वज्रहस्तो महाबलः। शतयज्ञाधिपो देवस्तस्मा इन्द्राय ते नमः।

अग्रलिखित मंत्र से इंद्र की और कुबेर की पूजा करें:- कुबेराय नमः, धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भवंतु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पदः।।

प्रार्थना मंत्र-
ॐ नमः कमलवासिन्य नारायण्यै नमो नमः।
कृष्णप्रियायै सारायै पद्मायै च नमो नमः।।
पद्मपत्रेक्षणायै च पद्मास्यायै नमो नमः।
पद्मासनायै पद्मिन्यै वैष्णव्यै च नमो नमः।।
सर्वसम्पतत्स्वरूपायै सर्वदात्र्यै नमो नमः।
सुखदायै मोक्षदायै सिद्धिदायै नमो नमः।।

विशेष जप मंत्र – ॐ श्री हृीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हृीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।अथवाॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।

दीपावली मुहूर्त की शुद्ध गणना :-1. सूर्य और चंद्रमा का संचार – दीपावली का पर्व तभी शुभ होता है जब सूर्य व चंद्रमा (दोनों ग्रह) तुला राशि में हों।

सूर्य का संचार नवंबर 2020 मासारंभ से 16 नवम्बर 2020 तक तुला राशि में ही है, तथा चन्द्रमा का तुला राशि में संचार 14 नवंबर 2020 से 15 नवम्बर साॅय तक होगा। अतः 14 नवम्बर 2020 की रात्रि में दीपावली मुहूर्त के समय सूर्य तथा चंद्रमा (दोनो) तुला राशि में ही संचार कर रहे होंगे।

2. शुभ लग्न (स्थिर) – दीपावली की रात्रि, दीपावली पूजन स्थिर लग्न दीपावली मुहूर्त (वृष लग्न अथवा सिंह लग्न) के समय करना चाहिये- इस वर्ष वृष लग्न 14 नवंबर के दिन 17:30 से 19:23 बजे के मध्य विद्यमान रहेगा, तथा सिंह लग्न मध्य रात्रि 23:59 से 02:17 तक रहेगा।

3. चौघड़िया – दीपावली पूजन, कुबेर-पूजा, दीपावली मुहूर्त रात्रि चर, लाभ, अमृत एवं शुभ की चैघड़िया में करना चाहिये।

इस वर्ष 14 नवम्बर की रात्रि शुभ की चैघड़िया 20 बजकर 48 मिनट से 22 बजकर 30 मिनट तक है, और अमृत का चौघड़िया 22 बजकर 20 मिनट से 24 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इस के उपरांत चर का चौघड़िया 24 बजकर 12 मिनट से 25 बजकर 59 मिनट तक भी शुभ मुहूर्त रहेगा।

इस के अतिरिक्त लाभ का चौघड़िया सांयकाल 17 बजकर 26 मिनट से 19 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।

4. अमावस्या/प्रदोषकाल योग- भविष्यपुराण में महालक्ष्मी पूजन, (दीपावली मुहूर्त) के लिये प्रदोषकाल को विशेष शुभ माना गया है।

इस वर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्य का संयोग 14 नवंबर 2020 ई. शनिवार को दोपहर 14 बजकर 10 मिनट के तत्पश्चात् अमावस आरम्भ होगी और 15 नवम्बर दोपहर तक रहेगी।

प्रदोष काल 14 नवंबर 2020 ई को दिल्ली एवं निकटवर्ती नगरों में 17 बजकर 26 मिनट से 20 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। इस के मध्य लाभ का चौघड़िया 17:26 से 19 बजकर 07 मिनट तक है, और 17:30 से 19: 23 के मध्य वृष लग्न भी होगा, अत: हर प्रकार से दीपावली पूजन का शुद्ध मुहूर्त :- 17 बजकर 30 मिनट से 19 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।

दीपावली पूजन के लिये आमवस्या रहते सायं सूर्यास्त प्रदोषकाल की समयावधि श्रीगणेश, श्रीमहालक्ष्मी पूजन आदि के आरम्भ के लिये विशेष शुभ रहेगी।
प्रदोषकाल से महालक्ष्मी पूजन, कुबेर-पूजन, प्रारम्भ करके अर्धरात्रि तक जप-अनुष्ठानादि करने का विशेष लाभ होता है। प्रदोषकाल से कुछ समय पहले स्नानादि उपरांत धर्मस्थल पर मंत्रपूर्वक दीपदान करके अपने निवास स्थान पर श्रीगणेश सहित महालक्ष्मी, कुबेर-पूजन करके अल्पाहार करना चाहिये। तदुपरांत निशीथ काल मुहूर्त में मंत्र-जप, यंत्र-सिद्धि आदि अनुष्ठान सम्पादित करने चाहियें। कारखाने, दुकान, मकान, व्यवसाय, फैक्ट्री, कार्यालय, विद्यालय, में पूजा तथा बही खाता पूजन, कलम दान, रोकड़ा पूजन, के लिये यह मुहूर्त शुभ हैं।

5. निशीथकाल /महानिशीथ काल- दीपावली के दिन 14 नवंबर 2020 निशीथकाल 20ः08 से 22ः51 रहेगा। महानिशीथ काल रात्रि 22ः51 से 01ः33 तक तक रहेगा। इस अवधि में अमृत और चर की चौघड़िया भी रहेगी, विशेषकर तंत्र विधान से कुबेर-पूजा, महालक्ष्मी साधना करने वालों को 14 नवम्बर 2020 की मध्य रात्रि 23:59 से पूजा व्यवस्था आरम्भ करके 01ः00 से विशेष साधना मंत्र जप आरम्भ कर लेना चाहिये, तथा 01:33 तक यह जप साधना सम्पन्न कर लेनी चाहिये।

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